पेट का अल्सर लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
पेट का अल्सर लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

11 दिस॰ 2013

पेट का अल्सर - सावधानी व उपचार


हमारा पेट बीमारियो का घर है। पेट की आतों में से कई प्रकार के द्रव्य निकलते है जो भोजन को पचाने में सहायक है। जब यह द्रव्य ज्यादा मात्र में स्त्राव होता है, तब यह पेट व आंत की कोमल झिल्ली को जला देता है व घाव कर देता है। जब घाव पेट में हो, उसे गैस्ट्रिक अल्सर या पेप्टिक अल्सर कहते है।


इलाज व सावधानी- पेप्टिक अल्सर का सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है।  अपनी दिनचर्या व खान-पान में बदलाव करना ज़रूरी  है। समय पर सोये व सुबह नियम से जल्दी उठने की आदत डाले। प्रातः व्यायाम करे या ब्राह्मण के लिए अवश्य जाये।  इससे फेफड़ो को अधिक ऑक्सीजन मिलती है। पेट में कब्ज न होने दे। तेज मसालेदार, या तेज  नमक मिर्च वाले खाने तथा तले - भुने खाद्य पदार्थो से परहेज करे।  

भोजन में कच्ची सब्जिया जैसे, लौकी, टमाटर, गाजर, मूली, चुकंदर, व फलो में अमरुद, पपीता, अंजीर का सेवन करना फायदेमंद होगा। बेल फल का सेवन अलसर में लाभकारी साबित होगा। ३-५ ग्राम मुलैठी पाउडर गरम दूध के साथ पीने से अलसर से आराम मिलता है। ताजे फलो का रस व मट्ठा आदि का सेवन भी लाभकारी है।

पानी अधिक मात्रा में पिए। दिन में कम से कम ३ -४ लीटर पानी पीना उचित है। धूम्रपान व शराब का सेवन न करें। किसी भी तरह का उपचार शुरू करने से पहले डॉक्टर का परामर्श अवश्य ले। तनाव व चिंता से मुक्त रहे। हमेशा खुश रहे।