स्वाइन फ्लू श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारी है, जो ए टाइप के इनफ्लुएंजा वायरस से होती है। यह वायरस एच1 एन1 के नाम से जाना जाता है और मौसमी फ्लू में भी यह वायरस सक्रिय होता है। जब हम खांसते या छींकते हैं तो हवा में या जिस भी सतह पर मुंह और नाक से निकले द्रव कण गिरते हैं, वह वायरस की चपेट में आ जाता है। यह कण हवा के द्वारा या किसी के छूने से दूसरे व्यक्ति के शरीर में मुंह या नाक के जरिए प्रवेश कर जाते हैं।
स्वाइन फ्लू ने उन लोगो को सबसे अघिक खतरा है जिन्हे निम्न में से कोई बीमारी है जैसे-
- किडनी या हृदय की बीमारी
- सांस की बीमारी (दमा)
- न्यूरोलॉजिकल बीमारी मसलन, पर्किंसन
- मधुमेह (डायबिटीज)
- इसके अलावा कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग, 65 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग, गर्भवती महिलाओ और पाँच साल से कम आयु के बच्चों को भी काफी खतरा है।
कैसे करें स्वाइन फ़्लू से बचाव-
- रोज सुबह उठकर 5 तुलसी की पत्तियाँ धोकर खाएँ।
- गिलोय (अमृता) की एक फुट लंबी डाल का हिस्सा, तुलसी की 5-6 पत्तियों के साथ 15 मिनट तक उबालें। स्वाद अनुसार सेंधा नमक या मिश्री मिलाकर, कुनकुना होने पर इस काढ़े को पिएँ।
- लहसुन की दो कलियाँ रोज सुबह खाली पेट कुनकुने पानी के साथ लेने से रोग प्रतिरोधक शक्ति में इजाफा होगा।
- तुलसी के पत्ते और काली मिर्च के दाने पीसकर चाय में डालकर दिन में दो-तीन बार पीने से लाभ होगा।
- रात को सोते समय दूध में ½ चम्मच हल्दी पाउडर मिलाकर पीने से फायदा होगा।
- आंवला पाउडर (आधा चम्मच) को आधा कप पानी में मिलाकर दिन में दो बार पिएं। इससे रोग से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
- रोज ग्वारपाठे का 1 चम्मच गूदा पानी के साथ लें। इससे जोड़ों के दर्द कम होने से साथ-साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ेगी।
इसके अलावा, शरीर के प्रतिरक्षा और श्वसन तंत्र को मजबूत करने के लिये रोज प्राणायाम करें। घर का ताजा बना खाना खाएं। बासी खाना और काफी दिनों से फ्रिज में रखी चीजें न खाएं। पानी ज्यादा पिएं। ताजे फल, हरी सब्जियां खाएं। रसदार फलों का सेवन करें। मौसमी, संतरा, आलूबुखारा, सेब, तरबूज और अनार ज़रूर ले। दिन में कई बार अपने हाथ एंटिबायोटिक साबुन से धोएँ। अल्कोहोलिक क्लींजर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।