2 फ़र॰ 2014

अदरक है काम की चीज!

हमारे आस-पास कई ऐसी चीजें होती हैं, जिनका सेवन तो हम रोजाना करते हैं, लेकिन उनके गुणों से अनजान ही रहते हैं। आइए आज हम आपको अदरक  (Ginger) के बारे में बताते हैं जो कई गुणों से भरपूर हैं। अदरक सिर्फ खाने और चाय का स्वाद ही नहीं बढ़ाता बल्कि आयुर्वेद के अनुसार ये सेहत का साथी है। अदरक में अनेकों ऐसे गुण है जिन्हें आयुर्वेद में बहुत उपयोगी माना गया है।

अदरक रूखा, तीखा, उष्ण-तीक्ष्ण होने के कारण कफ तथा वात का नाश करता है, पित्त को बढ़ाता है। इसका अधिक सेवन रक्त की पुष्टि करता है। अदरक सर्दियों में सेहत की बेहतरी के लिए इस्तेमाल किया जाता है। अदरक पाचनतंत्र के लिए लाभकारी होता है। आम से उत्पन्न होने वाले अजीर्ण, अफरा, शूल, उलटी आदि में तथा कफजन्य सर्दी-खाँसी में अदरक बहुत उपयोगी है। अदरक खाने से मुंह के हानिकारक बैक्टीरिया भी मर जाते हैं।

अदरक एक नेचरल पेन किलर है, इसलिए इसे आर्थराइटिस और दूसरी बीमारियों में उपचार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। अदरक कोलेस्ट्रॉल को भी कंट्रोल करता है। कैंसर में भी अदरक बेहतरीन दवाई मानी गई है। खासतौर पर ओवेरियन कैंसर में यह काफी असरदार है। 
आइए जाने अदरक के कुछ घरेलू उपाय, जिन्हे अपनाकर आप कई बीमारियां बचे रह सकते हैं।

अदरक से घरेलु उपचार

1. अदरक के रस  पानी समभाग मिलाकर पीने से हृदयरोग में लाभ होता है।
2. अदरक  प्याज का रस समान मात्रा में मिलाकर 3 घंटे के अंतर से 1 चम्मच लेने से अथवा अदरक के रस में मिश्री में मिलाकर पीने से उलटी होना  जौ मिचलाना बन्द होता हैछोटी इलायचीअदरक का रस  तुलसी के पत्तों को समान मात्रा में मिलाकर लेने से भी उल्टी नहीं होती।
3. पीसी हुई सौंठ (सुखी अदरक) और गुड को बराबर मिला कर रख ले। जरा सा अदरक का रस मिला कर गोली बना लें। लगभग ½ ग्राम 2 समय गुंनगुने (कोसे) पानी से लें। धीरे धीरे बढ़ाते हुए 2 ग्राम तक ले। इस के प्रयोग से उदर रोग, अर्श, सूजन, प्रमेह, श्वास, प्रतिश्याय, अलसक, अविपाक कामला, शोष, मानसिक रोग नष्ट होते हैं 
4. ग्राम अदरक, 5 ग्राम पुदीने के रस में थोड़ा-सा सेंधा नमक डालक पीने से उदरशूल मिटता है। 

5. अदरक पुदीने का काढ़ा देने से पसीना आकर ज्वर उतर जाता है। यह उपचार शीतज्वर में लाभप्रद है।
6. आधा-चम्मच अदरक के रस में हींग और काला नमक मिलाकर खाने से गैस की तकलीफ दूर होती है।
7. 20 ग्राम अदरक का रस 2 चम्मच शहद के साथ सुबह शाम लें। सर्दी-खाँसी व वात-कफ प्रकृतिवाले के लिए अदरक पुदीना विशेष लाभदायक है। अदरक का एक छोटा टुकड़ा छीले बिना (छिलके सहित) आग में गर्म करके छिलका उतार दें। इसे मुंह में रख कर आहिस्ता-आहिस्ता चबाते चूसते रहने से अन्दर जमा और रुका हुआ बलगम निकल जाता है और सर्दी-खांसी ठीक हो जाती है। 

8. जुकाम होने पर अदरक पाउडर, घी और गुड़ समान मात्रा में लेकर मिलाएं और सुबह खाली पेट इसका सेवन करें। जुकाम जल्द ही ठीक हो जाएगा।
9. खाँसी एवं श्वास के रोग में अदरक और तुलसी के रस में शहद मिलाकर लेने से आराम मिलता है।
10. अदरक का रस नाभि के आस-पास लगाने से दस्त में आराम मिलता है।
11. रोज सुबह खाली पेट गुनगुने पानी के साथ अदरक का एक टुकड़ा खाने से खूबसूरती बढ़ती है

11 दिस॰ 2013

पेट का अल्सर - सावधानी व उपचार


हमारा पेट बीमारियो का घर है। पेट की आतों में से कई प्रकार के द्रव्य निकलते है जो भोजन को पचाने में सहायक है। जब यह द्रव्य ज्यादा मात्र में स्त्राव होता है, तब यह पेट व आंत की कोमल झिल्ली को जला देता है व घाव कर देता है। जब घाव पेट में हो, उसे गैस्ट्रिक अल्सर या पेप्टिक अल्सर कहते है।


इलाज व सावधानी- पेप्टिक अल्सर का सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है।  अपनी दिनचर्या व खान-पान में बदलाव करना ज़रूरी  है। समय पर सोये व सुबह नियम से जल्दी उठने की आदत डाले। प्रातः व्यायाम करे या ब्राह्मण के लिए अवश्य जाये।  इससे फेफड़ो को अधिक ऑक्सीजन मिलती है। पेट में कब्ज न होने दे। तेज मसालेदार, या तेज  नमक मिर्च वाले खाने तथा तले - भुने खाद्य पदार्थो से परहेज करे।  

भोजन में कच्ची सब्जिया जैसे, लौकी, टमाटर, गाजर, मूली, चुकंदर, व फलो में अमरुद, पपीता, अंजीर का सेवन करना फायदेमंद होगा। बेल फल का सेवन अलसर में लाभकारी साबित होगा। ३-५ ग्राम मुलैठी पाउडर गरम दूध के साथ पीने से अलसर से आराम मिलता है। ताजे फलो का रस व मट्ठा आदि का सेवन भी लाभकारी है।

पानी अधिक मात्रा में पिए। दिन में कम से कम ३ -४ लीटर पानी पीना उचित है। धूम्रपान व शराब का सेवन न करें। किसी भी तरह का उपचार शुरू करने से पहले डॉक्टर का परामर्श अवश्य ले। तनाव व चिंता से मुक्त रहे। हमेशा खुश रहे।  

12 नव॰ 2013

तुलसी के औषधीय गुण

तुलसी
तुलसी (वानस्पतिक नाम: ओसीमम सैन्कटम) औषधीय गुणों से भरपूर वनस्पति है। इसी वजह से आयुर्वेद में भी तुलसी को महत्वपूर्ण माना गया है। ऐसा माना जाता है कि जिस घर में तुलसी लगाई जाती है उस घर में भगवान वास करते हैं। इस वनस्पति को हमारे घरों में देवी के रूप में पूजा जाता है. तुलसी कई प्रकार की बीमारिया जैसे त्वचा संबंधित रोग, दंत रोग, जुकाम, खांसी, दमा, बुखार, निमोनिया और अतिसार में चमत्कारी रूप से अपना असर दिखाती है। आइये जानते हैं कि किस प्रकार से तुलसी तरह-तरह की बीमारियों में फायदेमंद है-
  • तुलसी पत्र मिला हुआ पानी पीने से कई रोग दूर हो जाते हैं।
  • कफ से राहत पाने के लिए -१० तुलसी की  पत्तिया ले और पानी में उबाले.  दिन में दो बार यह पानी पीने से आराम मिलता हैं.
  • लाल तुलसी के पत्तों को कुचल कर उसका रस दिन में माथे पर - बार लगाने से सिर  दर्द में राहत मिलती हैं.
  • मुँहासे के लिए, तुलसी के पत्ते, नींबू का रस और पुदीने का मिश्रण प्रभावित क्षेत्र पर लगाने से फायदा होता है.
  • बुखार में,10 ग्राम तुलसी पानी में उबालें जब तक पानी आधे से कम हो जाये. स्वाद के लिए थोड़ा सा सेंधा नमक मिलाये और पी ले. इस उपचार से पसीना आता है और बुखार से राहत मिलती है.
  • जूँ से छुटकारा पाने के लिए, सोने से पहले तकिये के चारों ओर एक मुट्ठी भर तुलसी के पत्तों को फैला दे.
  • नियमित रूप से तुलसी के तेल से सिर की मालिश बालों का झड़ना नियंत्रण करती है.
  • दो चम्मच तुलसी रस, एक कप मूली रस, गुड़ के साथ मिलाकर पीने से पीलिया रोग में राहत मिलती हैं.
  • कीट / मकड़ी के काटने पर तुलसी के पत्ते हल्दी के साथ पीस कर प्रभावित क्षेत्र पर लेप लगाने से फायदा होता है.
  • सर्दी और खांसी के लिएचाय तैयार करते समय, 2 3 काली मिर्च पाउडरअदरकएक लौंग और कुछ तुलसी के पत्ते डाल कर पीये.

12 अक्तू॰ 2013

डेंगू से बचाव: आओ करें प्राकृतिक उपचार

डेंगू
डेंगू से बचाव: आओ करें प्राकृतिक उपचार
डेंगू एक रोग हैं जो एडीज इजिप्टी मच्छरों के काटने से होता है। यह रोग अचानक तीव्र ज्वर के साथ शुरू होता है, जिसके साथ साथ तेज सिर दर्द होता है, मांसपेशियों तथा जोडों मे भयानक दर्द होता है. इसे हड्डी तोड़ बुखार भी कहते हैं। 

इसके अलावा पेट खराब हो जाना, पेट दर्द होना, कमजोरी, दस्त लगना, ब्लेडर की समस्या, निरंतर चक्कर आना, भूख ना लगना जैसे लक्षण उभर सकते हैं. कई मामलों में यह रोग जानलेवा रूप भी ले सकता है। 

इन दिनों डेंगू बड़ी तेज़ी से फ़ैल रहा है! इस भयानक बीमारी से बचाव के उपाय करना ही बेहतर है, ताकि आप स्वस्थ् रहे! इस पोस्ट में पढ़िये डेंगू से बचाव में सहायक कुछ प्राकृतिक उपचार-
  • तुलसी व नीम के ५ -५ पत्ते पानी के साथ एक सप्ताह तक ले। यह उपचार डेंगू से बचाव में सहायक होगा.
  • सुबह खाली पेट तुलसी के ३ पत्ते नियम से खाये.
  • नीम व तुलसी के पत्ते, सौंठ, काली मिर्च, अजवायन व सेंधा नमक मिलाकर पानी के साथ सेवन करे.
  • डेंगू से बचाव के लिये, नींबू की चाय (बिना दूध की) पीना लाभकारी है .
  • रोजाना दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाकर पीना सेहत के लिये फायदेमंद है. साथ ही डेंगू से बचाव का आसान उपाय है
  • १० ग्राम काला जीरा, ५ ग्राम सफ़ेद जीरा, २ ग्राम बीज रहित मुनक्का ले. इन्हे पीसकर गोली बना ले व दिन में तीन बार एक एक गोली पानी से ले.
  • घर में नीम के सूखे पत्तों की धुनी देना मच्छरों को काबू करने हेतु प्रभावी विधि है.