15 जन॰ 2015

पौष्टिक गुणों का भंडार है मूली

मूली खाओ रोग भगाओ
आयुर्वेद के अनुसार हमारे दैनिक प्रयोग में आनेवाले फल सब्जियों में कई औषधीय गुण मौजूद होते हैं I ऐसी ही एक सब्जी है मूली (Raphnus sativus)जिसका प्रयोग हम अक्सर अपने भोजन में करते हैंI मूली धरती के नीचे उगने वाली पौधे की जड होती हैं। धरती के ऊपर रहने वाले इसके पत्ते भी पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। इसके पौधे में आने वाली फलियाँ भी समान रूप से उपयोगी और स्वास्थ्यवर्धक है।

मूली में कैल्शियम, प्रोटीन, कार्बोहायड्रेट, आयोडीन, आयरन तथा फाइबर भरपूर मात्रा में होते हैं। इसके अलावा मूली में सोडियम, क्लोरीन, फॉस्फोरस तथा मैग्नीशियम भी पाया जाता है। मूली में विटामिन '', 'बी' और 'सी' भी प्राप्त होते हैं।

भोजन के साथ प्रतिदिन एक मूली खाने से रक्तविकार दूर होते हैं, नेत्रज्योति बढ़ती है, तथा शरीर के जोड़ों की जकड़न भी दूर होती है। मूली के प्रतिदिन सेवन से रंग निखरता है, खुश्की दूर होती है और चेहरे की लालिमा बढ़ती है। इसे खाने से खाना जल्दी पच जाता है। यदि आप मूली के स्वास्थ्य लाभ तथा इससे होने वाले घरेलू उपचारों के बारे में जानना चाहते हैं, तो ज़रूर पढ़े यह लेख-
  • मोटापा नियंत्रित करने के लिए मूली बहुत लाभदायक है। मूली के रस में नींबू नमक मिलाकर नियमित पीने से शरीर का मोटापा घटता है और शरीर सुडौल होता है।
  • मूली के टुकड़े पर नींबू का रस लगाकर दांतों पर धीरे-धीरे मलने से दांत साफ होंगे पीलापन दूर होगा। मूली के रस से दिन में 2-3 बार कुल्ले करने से पीने से पायरिया से परेशान लोगो को लाभ मिलता है। मूली को चबा-चबा कर खाना दांतों मसूड़ों को निरोग निरोगी रखता है।
  • मूली के रस में सामान मात्रा में अनार का रस मिला कर पीने से रक्त में हीमोग्लोबिन बढ़ता है और रक्ताल्पता का रोग दूर होता है।
  • मूली पर नींबू नमक लगा कर भोजन में सलाद के रूप में लेने से कब्ज से राहत मिलती है
  • गर्मी के प्रभाव से खट्टी डकारें आती हो या आप एसिडिटी से परेशान हो, तो ऐसे में मूली के पत्तों का रस मिश्री के साथ सेवन करने से लाभ होता है।
  • मूली के पत्ते चबाने से हिचकी बन्द हो जाती है।
  • बवासीर में मूली को हल्दी के साथ खाने से रोग से राहत मिलती है मूली का रस पीने से मूत्र रोगों में भी लाभ होता है।
  • मूली के पत्तों पर सेंधा नमक मिला कर रोज सवेरे खाने से मुंह की दुर्गन्ध नष्ट होती है
  • मूली के रस में तिल्ली का तेल मिलाकर और उसे हल्का गर्म करके कान में डालने से कान का दर्द तथा कान की खुजली ठीक होते हैं।
  • मूली का सेवन करने से पेट के कीड़े नष्ट होते हैं तथा पेट के घाव भी ठीक होते हैं।
  • पीलिया रोग मेंएक ताजा कच्ची मूली रोज़ सुबह उठते ही खाते रहने से कुछ दिनों में रोग ठीक हो जाता है।
  • मूली के बीजों को उसके पत्तों के रस के साथ पीसकर लेप करने से अनेक चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है।
  • मूली मुंहासो के उपचार में भी कारगर है। मूली का एक टुकड़ा काट कर मुंहासों पर लगाएं। १०- १५ मिनट बाद चेहरे को ठण्डे पानी से धो लें, काफी लाभ होगा।
  • मूली का रस पानी में मिलाकर सिर धोने से जुएँ नष्ट होती हैं।

31 दिस॰ 2014

करेले (Bitter Gourd) के स्वास्थ्य लाभ


करेले के गुणों से सब परिचित हैं। करेला बवासीर से पीड़ित लोगों के लिए उपयोगी है। कड़वी लौकी का रस पीने या एक महीने के लिए हर सुबह छाछ के साथ इसे लेने से इस दर्दनाक बीमारी से छुटकारा प्राप्त करने में फायदेमंद होगा। करेला फाइबर में उच्च है और इसलिए कब्ज से बचाता है। यह आमाशय रस का स्राव उत्तेजक द्वारा पेट संबंधी विकारों का इलाज कर सकते हैं। यह अपच से पीड़ित के लिए अत्यधिक लाभकारी है। करेला फोड़े और खुजली का इलाज करने के लिए भी फायदेमंद है।

करेला उच्च रक्त शर्करा के स्तर को कम कर देता है इसलिए यह मधुमेह रोगियों के लिए उपयोगी है। यह अग्नाशय को उत्तेजित कर इन्सुलिन के स्राव को बढ़ाता है। इसका रस रक्त में शर्करा की मात्रा पर नियंत्रण रखने के लिए खाली पेट पर सुबह लिया जा सकता है। करेला संक्रमण और रोगों के खिलाफ हमारे शरीर की लड़ व्यवस्था में सुधार लाने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए भी फायदेमंद है। 
करेला पत्र का पैरों के तलवों पर लेप करने से दाह का शमन होता है। करेले के रस में जीरे का चूर्ण मिलाकर दिन में तीन बार पिलाने से शीत-ज्वर में लाभ होता है। करेला आंख की समस्याओं के इलाज और दृष्टि में सुधार में मदद करता है। इसमें बीटा कैरोटीन उच्च मात्रा में पाया जाता है।  


करेले के ताजे फलों अथवा पत्तों को कूटकर रस निकालकर गुनगुना करके - बूँद कान में डालने से कान दर्द लाभ होता है। सूखे करेले को सिरके में पीसकर गर्म करके लेप करने से कंठ की सूजन मिटती है।

14 सित॰ 2014

मोटापा कम करने के प्राकृतिक उपचार

आज हर कोई मोटापे (Obesity) से परेशान है।आधुनिक समय में यह एक बीमारी के रूप में तेजी से फैल रहा है। मोटापा वह स्थिति है जब अत्यधिक शारीरिक वसा शरीर के भागों में चर्बी के रूप में एकत्र हो जाती है व स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डालने लगती है।

मोटापे के कई कारण हो सकते है। इनमें से प्रमुख है अधिक चर्बीयुक्त आहार का सेवन, व्यायाम न करना, मानसिक तनाव व हाइपोथाइरॉयडिज़्म।

मोटे व्यक्ति को अधिकांशतः मधुमेह, उच्च रक्तचाप, दिल की बीमारी, जोड़ों का दर्द, गठिया, घुटनों में दर्द, कब्ज और अन्य कई विकारों की संभावना भी अधिक होती है। कुछ प्राकृतिक घरेलू उपचारों का उपयोग करके तथा जीवनशैली में परिवर्तन करके आप मोटापे की समस्या से छुटकारा पा सकते है।

मोटापा कम करने के प्राकृतिक उपचार
  • अपने दिन की शुरुआत नींबू पानी से करें। हर रोज सुबह गुनगुने पानी में नींबू का रस और थोड़ा सा नमक मिला कर सेवन करने से वजन कम करने में मदद मिलती है।
  • त्रिफला (१० ग्राम) चूर्ण को एक गिलास पानी में दस मिनट तक उबालें। इस मिश्रण को छानकर रोज सुबह इसका सेवन करें।
  • रोज सुबह करेले के रस में नींबू रस मिलाकर पीने से भी शरीर की चर्बी कम होती है।
  • सुबह उठकर १-२ टमाटर खाने से भी मोटापा नियंत्रित होता है।
  • दिन मे दो बार गुग्गुल गोंद को हल्का गुनगुना करके सेवन करना मोटापा नियंत्रित करने में सहायक है।
  • कच्चा या पकाया हुआ पत्तागोभी खाना मोटापे को कम करने में आश्चर्यजनक रूप से सहायक है।
  • रोज़ाना ग्रीन टी का सेवन करना न सिर्फ वज़न नियंत्रित करता है, बल्कि शरीर के लिये भी फायदेमंद है। उत्तम गुणवत्ता की ग्रीन टी की पत्तियों को उबले पानी में डालकर ५ -१० मिनट ढककर रखें। इसे दिन में २-३ बार पीयें।
  • बराबर मात्रा में आंवले व हल्दी का चूर्ण छाछ के साथ पीने से पेट की अतिरिक्त चर्बी कम होती है।
  • रोज सुबह छोटी पीपल का चूर्ण (३ ग्राम) छाछ के साथ सेवन करने से वजन कम करने में मदद मिलती है।
  • छाछ मे काला नमक व अजवाइन मिला कर दोपहर के भोजन के बाद पीये।
  • आधा चम्मच सौंफ को एक कप उबलते पानी में डालें व १० मिनिट तक इसे ढककर रखें। ठंडा होने पर इस पानी को पिएं।
  • दिन भर में ३-४ लीटर पानी पीने से शरीर के विषैले तत्व बाहर निकलते है व पेट की चर्बी भी कम होती है।
ध्यान रखें-

भारी, गरिष्ठ, तले, चटपटे खाद्य पदार्थ ना खायें। अपने आहार में खूब फल और हरी सब्जियां शामिल करें। रेशेदार खाद्य पदार्थ का सेवन अधिक से अधिक करें। कम चर्बी वाले दूध का सेवन करें। नमक व शक्कर का सेवन कम करे। जल्दबाजी में कभी भोजन ना करें। शरीर के वजन को संतुलित रखने के लिए सुबह नियमित रूप से घूमने जाये। एरोबिक्स, जॉगिंग, साइकिलिंग, योगासन, रस्सी कूदना, आदि व्यायाम भी वजन संतुलित रखने में सहायक है

सबसे ज़रूरी बात - हमेशा खुश रहिए, मुस्कुराते रहिए J